आदौ राम तपोवनादि…
आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् ।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
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आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् ।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
अद्भुत भोले तेरी माया, अमरनाथ में डेरा जमाया, नीलकंठ में तेरा साया, तू ही मेरे दिल में समाया !
कमाए हुए पैसे का काम जहा रुकता है। वहाँ से किए गए पुण्यो का काम चालू होता है!
Tu mujhe dhoondh, main tujhe dhundu Koi hum main se reh gaya hai kahin…
खुद पर बीते तो आह, और दूसरों पर बीते तो वाह..!
हम तुम में सारा जहां ढूँढ रहे थे। और हम में तुम हमीं को ना ढूँढ पाए।।
कर्ता करे न कर सकै,शिव करै सो होय। तीन लोक नौ खंड में,शिव से बड़ा न कोय!
मुझमें कोई छल नहीं, तेरा कोई कल नहीं, मौत के ही गर्भ में, ज़िंदगी के पास हूँ, अंधकार का आकार हूँ, प्रकाश का मैं प्रकार हूँ, *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।*
तन की जाने, मन की जाने, जाने चित की चोरी उस महाकाल से क्या छिपावे, जिसके हाथ है सब की डोरी !
तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी॥ जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥