आदौ राम तपोवनादि…

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्। वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम् ।। बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्। पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।

मैं शिव हूँ…

मुझमें कोई छल नहीं, तेरा कोई कल नहीं, मौत के ही गर्भ में, ज़िंदगी के पास हूँ, अंधकार का आकार हूँ, प्रकाश का मैं प्रकार हूँ, *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।* *मैं शिव हूँ।*

मिलइ न कछु…

तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी॥ जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू॥